यह सपनों का हक की पहली पत्रिका है। आजादी के 74 साल बाद भी, राजनीति में महिलाओं की प्रतिभागिता बहुत कम है। लोकसभा में 14% सदस्य महिलाएँ हैं, जबकि विधान सभी में यह संख्या केवल 7% है। ग्राम पंचायतों, नगरनिगम और जिला परिषद में महिलाओं को 33% आरक्षण के चलते इनमें महिलाओं की भागीदारी बेहतर है। इस बैकड्रॉप के विरुद्ध एक फायरब्रांड राजनेता उभरती है: मीरा भारती। पेशे से वकील मीरा उत्तर प्रेदेश के चित्रकूट के सरिया वार्ड से जिला परिषद सदस्य है। एक गरीब दलित परिवार में जन्म लेने वाली मीरा ने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया है –गरीबी, बाल विवाह आदि। फिर भी, उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष करने हेतु अपनी परिस्थितियों पर पार पाया और यूपी तथा अन्य राज्यों की युवतियों के लिए एक रोल मॉडल के तौर पर सामने आई है।
