
मनीषा की जिद
सपनों का हक की आठवीं पत्रिका इस बात पर अचरज प्रकट करती है कि युवा लड़कियाँ अगर अपनी एजेंसी के काम कर सकीं और अपने बाल विवाह को टाल सकीं तो क्या-क्या उपलब्धियाँ हासिल कर सकती हैं? यह पत्रिका एक युवती मनीषा की कहानी बताती है, जो अपने माता-पिता को समझाकर अपना बालविवाह टालने में कामयाब रही और युवतियों के लिए यूपी कौशल विकास मिशन के अंतर्गत रोजगारपरक शिक्षा केंद्र शुरू किया।